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10 Jan 2019 · 1 min read

कविता

बचपन के वो यार न जाने कहाँ खो गये।
“तु” से “तुम” और फिर आप हो गये।
बडी बडी बातों के राजगार थे जो,
छोटी छोटी बातों पर अब गिले-सिकवे हजार हो गये।
नादान हुआ करते थे जो अब समझदार हो गये।
बचपन के वो यार न जाने कहाँ खो गये।

—सोनु सुगंध –२५/१०/२०१८

Language: Hindi
1 Like · 604 Views
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