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10 Jan 2019 · 1 min read

कविता

रुठो बेसक अपनो से…
लेकिन मनाने पर मान जाओ..
अपने तो आखीर अपने है..
इतनी सी बात तुम जान जाओ..

गलती होती ही गलती से है…
न की हो जिसनें कभी गलती..
सामने वो इंसान लाओ….

अक्सर टुटने पर पता लगती है अहमीयत…..
अनमोल दिल के रिश्तों को पहचान जाओ……

बजती है ताली दोनों हाथों से..
ये उसुल है दुनिया का…

सम्मान दो….. सम्मान पाओ।
??????
——– सोनु

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