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5 Jan 2019 · 1 min read

मेरी मां...?

…मेरी मां…

तुझे रोते बिलखते,
तेरी रूह को तड़पते मैंने देखा है…
दर्द से जुझके तुझे हंसते हुए
मुझे जन्म देते वक्त क्यूं मैंने नहीं देखा है…
.?
खुदको तेरे आंचल की छांव में
पलते मैंने देखा है…
अपनी नींदों से रूठकर
तुझे लोरी सुनाते मैंने देखा है…
.?
ख्याल अपनों का आज भी रखती है
पर खुदका नहीं,
तुम्हें खुद की खैरियत
खुद पूछते हुए मैंने देखा है…
.?
कहने को तेरा साया
हरेक पल मेरे साथ चलता है,
पर सफ़र की मुश्किलों में
तुझे ढाल बनते मैंने देखा है…
.?
क्या,सच कहते हैं सब
दिए तेरे संस्कारों की नींव हूं मैं,
मुझे डांटते हुए गुस्से में
तेरे प्यार को मैंने देखा है…
.?
बिखरे तेरे उन सपनों को
ढूंढ़ती है तू गहरी तन्हाई में,
आए हैं कितने दर्द तेरे हिस्से में
उन जख्मों को मैंने आज ही देखा है…
.?
तेरे दिल की सादगी को
खुद पढ़कर मैंने देखा है
हां, कहानी,किस्सों से परे है तू,
तुझ सा ममतारूपी ह्र दय मैंने नहीं देखा है…
.?
टूटे रिश्तों को, रूठते अपनों को
प्रीत की डोर में पिरो ते मैंने देखा है
तब और भी ज्यादा अपनी लगती है तू,
सिर्फ मेरे लिए अपनों से लड़ते मैंने देखा है…
.?
आख़िर कैसे हाथ थाम लेता है वो बचपन
मामताहीन जिंदगानी का
तुझ से परे हो वो आइना
आज तक मैंने नहीं देखा है…
#Rahul_rhs
#जज्बाती

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