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3 Jan 2019 · 2 min read

पुरानी यादें

याद आती है वो यादे जिन्हें हम याद किया करते थे,
कभी बाहो में कभी उनके सपनों में रीहा करते थे।

बातो की इस कदर कीचड़ में फस गये है,
की आँखे बंद कर के भी उसके चेहरे को न भूला पाते है।

ज़िक्र जब आता है उनका जुबा पे मेरे ,
तो आँखे भी खफा होके असमा को देख लेती है
की एक बूंद तो गिर जाये उनकी ,
जिनके हम प्यासे बैठे है।

यादो के रास्तों पे जब भी थक के बेठते है,
सभी जिस्म वालो में चमक उनकी अलग होती है,
लगता है पास मेरे है पर दूर कितनी होती है।

सोचता हु चिला के फिर से रोक लू उनको,
पर वो रास्तो में किसी ओर के साथ होती है ।

दिल को समझा कर बन्द करके रखा है ,
की वो अब उस कत्लेआम का जिक्र भी नही करता,
धड़कता है, मगर जरा सी आवाज़ तक नही करता।

यादों की तिजोरी को कलेजे में गाड़ दिया अंदर की भूल जाऊ उनको में,
लेकिन भूलने की दवा का भी तो पता नही पड़ता।

वक़्त अब रेत के समन्दर में फिसलता नज़र आता है,
में होता कही ओर हु ,दिल ख़ुद को कही ओर खड़ा पाता है ।

जिस्म में नासूर इतने हो गये है कि ,
हवा चलते ही सौ बार मर जाता हूं।
उनकी यादों को लेकर चलने में ,
अब बहुत कमज़ोर में नजर आता हूं।

दिल की सुनु या लोगो की ये बात ना हजम कर पाता हूं ,
रिश्ता क्या कहलाता है मेरा ओर उसका ,
ये दिल को न लोगों को बता पता हु।

की यादे भी जहर हो गयी है उनकी ,
तिल -तिल रोज में मरा जाता हूं ।
पानी का सुवाद भूल गया हूं अब तो जहर में ही मजा आता है ।

पीता हु थोड़ी -थोड़ी की अभी जिंदा में नजर आता हूं ,जिस्म में रुहू ना रही सीने में दिल ना रहा ,
पर चलता में नज़र आता हूं ।

यादो की याद में ,
में अख़्सर रातो को आँखों की बारिश में भीगने जाता हूं ।
ओर मरूँगा उस दिन जब ,
आँख भी सुख जाये,
रिश्ते तो टूट गए है
अब असमा के सितारे भी टूट जाये ।

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