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2 Jan 2019 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल
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अब नहीं —दिल ये नादान है
हो गई सबकी —पहचान है

दोस्त है ——कौन है बेवफ़ा
अब समझना ——आसान है

कोई –तो घर —-बना ले यहाँ
दिल की बस्ती तो सुनसान है

जो बुज़ुर्गों की– ख़िदमत करे
वो न होता ——— परेशान है

जिसमें इंसानियत—- ही नहीं
किस तरह से —–वै इंसान है

रख भरोसा ख़ुदा पर सदा
सबका “प्रीतम” वो भगवान है

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)

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