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30 Dec 2018 · 1 min read

गुरू वंदना

प्रवीण कि कलम से……..
“”””””””””””””””””””

गुरु वंदना
——————-
गुरू दादू कि वंदना करूँ,,गुरू दादू कि में पूजा करूँ,,,
गुरू दादू से बढ़कर,,बड़ा जग में मेरे लिये कोई नही है,,,
कोई नही है,,कोई नही है,,
मेरे गुरू दादू से बढ़कर ,,,
जग में ……दूजा कोई नही है,,,
————–
“जय प्रिय गुरूवर कवि दादू प्रजापति”

साहित्य में अनगढ़ था जिसको

साहित्य का पाठ पढ़ा कर दिया संवार

ज्ञान चक्षु से राह दिखाई

गुरु आपकी कृपा अपार

रोम रोम है ऋणी आपका

मेरा अंतर दिया निखार

पार लगाने जीवन नैया

दे दी विद्या की पतवार

मैं अज्ञानी आप ब्रम्ह हो

दे दो आप हमें आशीष

बिना आपकी कृपा दृष्टि के

कैसे पहचानूँ गुरू दादू………..

———————————-
“”””””✒कवि प्रवीण प्रजापति “प्रखर”

Language: Hindi
405 Views
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