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19 Dec 2018 · 1 min read

मुक्तक

खाक़ में तू “””मिला न पायेगी
हौसलों को”””मिटा न पायेगी
जिन दरख़्तों का हो ख़ुदा रहबर
उनको आँधी “””हिला न पायेगी

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)

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