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13 Dec 2018 · 1 min read

गले से लगा के वो फिर मुस्कराये

“ गले से लगा के वो फिर मुस्कराये “
गले से लगा के वो फिर मुस्कराये ,
दिलों को मिला के सभी को मनाये ।
रुबाई रचाते मियां मित्र मिट्ठू ,
सुनी जो रुबाई सभी खिलखिलाए।
“डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव” ,
सीतापुर ।

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