Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
10 Dec 2018 · 1 min read

दिसम्बर जनवरी में

धूप जाड़े की
कि जैसे
भीड़ भाड़े की ।

रात जाड़े की
कि ज्यों
मलखम अखाड़े की ।

हवा जाड़े की
कि ज्यों
कंबल कबाड़े की ।

पढ़ाई जाड़े का
कि ज्यों
कटु घूँट काढ़े की ।

नींद जाड़े की
कि ज्यों
पुस्तक पहाड़े की ।

Loading...