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8 Dec 2018 · 1 min read

तुम्हारे नाम

लिख रही हूं
एक और कविता
तुम्हारे नाम

शाम की स्याही से
दिल की गहराई से,
एक मीठी याद अपनी,
बीते पल की जुदाई से।
खुल रहे है दूरियों के कसमसाते अर्थ,
समझाना है तुम्हे बिल्कुल व्यर्थ,
स्मृति है मुझे उन पलों की
जब था अपना ये सारा अर्श।

समेट के अपने चीर में,
दिल का हर एक प्याम।
लिख रही हूं,
एक और कविता
तुम्हारे नाम।।

-शिखा शर्मा
-हिमाचल प्रदेश

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