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2 Dec 2018 · 1 min read

भाषा की मर्यादा(दोहे)

आज ‘प्रखर’यह देखकर, अब आता आवेश ।
राजनीति में दे रहे , भाँति-भाँति उपदेश ।।

उनको पप्पू कह रहे , बिना ठोस आधार ।
ऐसे भी गप्पू मिलें , मुझको बारंबार ।।

भाषा में संसद नहीं, नेता हैं बीमार ।
शर्म हया भी ना दिखे ,करते तीक्ष्ण प्रहार ।।

~सत्येन्द्र पटेल’प्रखर’

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