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30 Nov 2018 · 1 min read

मुक्तक

सामने है साक़ी हाथों में शराब है।
मेरी निगाहों में तेरा ही शबाब है।
प्यास जल रही है तेरी कब से लबों पर-
हुस्न का ख़्यालों में फ़ैलता महताब है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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