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30 Nov 2018 · 2 min read

संवेदनहीनता

हमारे पड़ोस में रामदीन शर्मा रहते हैं। उनके दो बेटे हैं। एक बैंगलोर में है और दूसरा हैदराबाद मे अपने अपने परिवार के साथ हैं । शर्मा जी और उनकी पत्नी सुनिता के साथ वह भोपाल में हैं । शुरू शुरू में तो लडके उनके फोन उठाते थे और घर – बाहर – बहू – बेटों की बात करते थे तथा शर्मा जी और सुनिता अपना मन हल्का करते थे , लेकिन बाद में बेटो बहू के दिमाग में बैठ गया कि :

“इनके पास तो कोई काम नहीं है और रात दिन कभी भी फोन करके उन्हें परेशान करते है ।”

इसी तरह दिन गुजर रहे थे तभी एक दिन शर्मा जी पत्नी का देहान्त हो गया और वह अकेले रह गये । बेटों ने अकेले पिता जी को साथ नहीं रखा ।

एक दिन शर्मा जी को सीने में अचानक दर्द उठा । उन्होंने सोचा पहले बेटों को खबर कर दूं कोई अनहोनी नहीँ हो जाऐ । जब तक वह संभले रहे बडे बेटे को फोन लगाया, घंटी जाती रही, लेकिन उसने फोन नही उठाया और वही हाल छोटे बेटे का रहा । इस बीच काफी समय निकल रहा था । अब शर्मा जी घर के बाहर आ कर लेट गये, यह सोच कर कि:

” कोई सडक चलता उन्हें इस हालत में देख लेगा और अस्पताल पहुंचा देगा । ”

हुआ भी यही मै अचानक वहां गया और शर्मा जी हालत देख कर वहां से गुजर रहे एक आदमी ने शर्मा जी को अस्पताल पहुंचाया
शर्मा जी फोन अभी भी उनके बेटे नहीं उठा रहे है , अब असंवेदनशीलता ही नियति है ।

लेखक संतोष श्रीवास्तव
बी 33 रिषी नगर ई 8 एक्स टेंशन बाबडिया कलां भोपाल 462039 मध्य प्रदेश
मोबाइल 9993372409

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