Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
30 Nov 2018 · 1 min read

तस्वीर से मुलाकात

तस्वीर से मुलाकात——

तू सुबह की भोर सी है। मै ठहरा संध्या का अँधेरा।
तेरे आलिंगन से भबरे है उठते ,मेरे सानिघ्य मे जुगनु टिमटिमाते।

तू सुबह की सौंधी हवा सी है। मै गर्म हवा का झोंका।
तेरी रौशनी मे है फूल खिल-खिलाते,मुझमे रात ढलते है वो मर जाते।

तुझसे है सब रँग खिलखिलाते,मुझमे मे सब रँग एक हो जाते।
धुप की मार सहकर है पत्थर भी पिघल जाते,मुझमे समाकर पता-पता भी है कठोर हो जाता।

तुझमे भी कुछ खामिया है। मै भी गलती का पुतला हूँ।
वक़्त ने है तुझको मुझसे दूर किया,मुझको भी सजा दुरी की तुझसे है बरकरार रखी।

तुम भी मिलन की बेला ढूंढ़ रही,मै भी उसका इंतज़ार करता हूँ।
आ भगत बारिश के बहाने दो रूहो को एक कर प्यार के तराने रिमझिम बरसात मे गाते है।

रमन भगत(पठानकोटिया)?

Loading...