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29 Nov 2018 · 1 min read

मेरा अकेलापन

आज एक नए किरदार से पहचान हुई,
मैंने पूछा तो पता चला वो था मेरा अकेलापन,

सबकुछ तो मेरे पास,
फिर क्यूं है ये अकेलापन,
इच्छाएं बढ़ती जा रही हैं,
अपनों की परवाह नहीं,
जहां पहुंच गया हूं आज,
वहां से वापसी की कोई राह नहीं,
खुद की ही गूंज रही है आवाजें कानों में,
न जाने कब दूर होगी ये इच्छाएं पनपने से,

आज एक नए किरदार से पहचान हुई,
मैंने पूछा तो पता चला वो था मेरा अकेलापन,

गुरू विरक
सिरसा (हरियाणा)

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