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29 Nov 2018 · 1 min read

अपने मजबूत हाथों को अब, लाल झंडे का भार दो !

देश के युवा हो तुम, देश हित में एक नया बलिदान दो
देश हित के लिए ,धर्म की बेड़ियों को तुम काट दो,
हो अगर हौसलों में दम, बाजुओं में गर धार हो,
अन्याय से सहमों नहीं, अन्याय को ललकार दो !

भेड़िये अब घूम रहे हैं,रघुनायक (राम ) के भेस में,
युवा हो तुम अपने अंतर्मन की बेदना को पहचान लो,
सिंह हो तुम ,अपने हौसलों को एक नई उड़ान दो,
ज्ञान को करो समृद्ध ,ज्ञान ही से तुम यलगार दो !

कुछ सत्य का, कुछ ज्ञान का मन में अमित उल्लास हो,
धर्म समुद्र की लहरों में भी , जो काल की पतवार हो,
देश हित के लिए, बलिदान की भी अगर दरकार हो,
मृत्यु को भी करो स्वीकार, सिंह सा ही हुंकार दो !

कर्णधार जो देश के थे, नौका स्वयं ही डूबा रहे हैं ,
कहने को विकास दरवाज़े पे खड़ा और हम निहाल हैं,
देखो मगर देश हमारा, पतझड़ की तरह शोकार्त है,
अपने मजबूत हाथों को अब, लाल झंडे का भार दो !
*
29 /11 /2018
… सिद्धार्थ…

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