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23 Nov 2018 · 1 min read

. माँ

. माँ
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माँ तुम
कितनी ममता से भरी हो
एक-एक क्षण को
सहने की धैर्यता
माँ तुमसे कोई सीखे
हमारे छोटे से छोटे
आह को देखकर तुम
तुरंत ममता उड़ेल देती हो
चाहे स्वयं पीड़ित क्यों न हो
माँ तुम्हारी यह निस्वार्थ ममता
जो तुमने कितने कष्ट सहकर सींचा हैं
हम इस ऋण को
कभी चुका न पायेंगे
दुनिया से बेखबर
जब मैं मचली थी
तुम्हारे गर्भ में
तब तुम्हारी
ममतामयी हाथ ने
सहलाया था मुझे
तुम देवी हो माँ…
दुनिया में आने पर
सारा कष्ट को भुलाकर
जब तुमने पहली बार
मुझे चुमा था
मेरा रोना बंद हो गया था
तुम्हारे ममताभरे स्पर्श
कितना सुखद था मेरे लिए
भूख से बिलखता मुझे देख
तुम दौड़ी चली आती
अमृत सा स्तन पान कराने
रात को मेरे रोने से
तुम जाग जाती
कभी तो तुम
सो भी नहीं पाती
फिर भी तुम दुखी नहीं होती
माँ सचमुच तुम करुणामयी ,
शक्तिशाली,सहनशीला तथा त्यागमयी हो ,
मेरा पहला गुरु भी तुम ही हो
माँ हरपल तुम अपनी शिशु को
सुमार्ग दिखाती आई हो
तुम्हारे इस निस्वार्थ ममता के लिए
मैं सदैव आभारी रहूंगी
माँ आपको मेरा शत-शत नमन ………….
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रीता सिंह ” सर्जना
संपर्क सूत्र : डी एफ़ ओ’ज आफिस,

वेस्टर्न असम वाइल्ड लाईफ़ डिविजन

दोलाबारी, तेजपुर पिन: 784027

ई-मेल : rita30singh@gmail.com

(स्वरचित, मौलिक, एवं अप्रकाशित)

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