Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Nov 2018 · 1 min read

मेरी कविता

दुनिया में कितने भी लोग बदल जायें ! पर हम जैसे हैं !
वैसे ही रहेंगे ! ना जाने कितनी भी दुनिया बदल जायें ! एक सर्वश्रेष्ठ जो स्वयं हैं! जो दुनिया हमेशा सूंदर थी सूंदर हैं,ओर सूंदर आगे भी रहेगी!
“””भूख भी लगे प्यास भी गरीब के जीवन में हैं गरीबी भी””….
“””अँधेरों उजालों में उनके रात दिन नहीं कटते”””…..
“”‘जब उन्हें खाना पानी नहीं मिलता”””…..
“”सेवा करना हैं तो उन गरीबों कि करों यारों”””……
“”जो तुम उनमें खुशियाँ देख सकों”””……
“””ओर खुश होकर वे आशीर्वाद दें सकें”””……
“””गरीब भी भीख मांनगे आयें घर तो वो भी एक मेहमान होता हैं””……
“””जो दिल से समझें वो एक मसिहां होता हैं”””……
“””फरिश्ता बन कर जो उनकी मदद करें”””……
“”वो अँधेरों से निकाल कर उन्हें उजालों में जीवन जीने को देता हैं””…..
“””वो लक्ष्मी जो घर आती हैं”””……
“””वो उनका ही आशीर्वाद होता हैं”””……
“””जितना उनको बाटों उतना ही दुगुना होता हैं”””…..
“””नसीब से एक सिक्का भी दें दो””……
“”वो ओर बढ़ते जाता हैं””……
“””वो गरीब वो ही सिक्कें इकट्ठा कर अपना ओर अपने परिवार का पेट भरता हैं””…..
“””कुछ भीख मांगते हैं पेट भरने के लिये”””……
“””कुछ जिंदगी बचाने के लिये””….
“””लुखा सूखा बासी खाना माँग कर खा लेते हैं”””…..
“””कुछ नालियों में से फैंके हुये गंदे चावल निकाल कर धोकर सूखा कर खा लेते हैं”””……
“””ओर बच्चों को भी वहीं खिलाते हैं”””……
सहीं मायने में हमसे अच्छी जिंदगी वो बिचारे गरीब ही जीते हैं”””……

Loading...