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22 Nov 2018 · 1 min read

मेरी कविता मेरी माँ

तेरी यादों में पल-पल ज़िन्दगी रोती हैं…..
फ़ासलों से उलफ़्तों तक ये आँसुओं कि नदियाँ बहती हैं….
मिट्टी कि खुश्बू ये कहती हैं…..
रोकों न तुम मुझकों खुश्बुओं से मेरे यारों कभी तो तुम भी मेरे पास ही आओगें…..
ज़र्बकारी से जितना गुज़रोगे,गुज़रते चलें जाओगें….
रोकों ना मुझे तुम मेरी खुश्बुओं को तुम भी तो मेरी मिट्टी से ही बने हुए हो,
तुम भी मेरे पास ही आओगें,
मिल जाओगें तुम भी मुझमें फिर तुम मेरी खुश्बू बनकर रह जाओगें…….!!

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