Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
10 Nov 2018 · 1 min read

ग़जल

“आप गली भूल गए”
—————————

गैर के साथ चले राह कई भूल गए।
जो हमें याद रहे आज वही भूल गए।

आपकी याद उदासी बनी इन आँखों की
प्रेम का रोग लगा हम तो हँसी भूल गए।

प्यार में वार किया तीरे नज़र से जिसने
आशिकी को न समझ पाए कभी भूल गए।

है अजब इश्क जुदाई न सही जाए ,सनम
छोड़के आप गए अपनी जमीं भूल गए।

ज़िंदगी आप बिना ‘रजनी’ ग़ुज़ारे कैसे
रोज़ मिलते रहे जो आज गली भूल गए।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर

Loading...