Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
7 Nov 2018 · 1 min read

मां की ममता

मां सा दुनिया में दूजा है और नहीं
मां की ममता का कोई भी छोर नहीं मां ही

मां की कोख में मैं नौ मास रहा
मेरी ख़ातिर मेरी मां ने दुख को सहा

मेरा बोझा उठाया दिनो रात को
अपने खून से सींचा मेरे गात को

लडके दुनिया से मां ने है पाला मुझे
तन के सांचे में मां ने है ढाला मुझे

सोई गीले में सूखे में सोया हूँ मैं
मां तडफती थी जब जब भी रोया हूं मैं

मां का दूध पिया बडे अधिकार से
मां की ममता अलग सारे संसार से

मां की गोदी में सारा जहां मिल गया
मेरे जीवन का प्यारा चमन खिल गया

बिना लालच बडा प्यार देती है मां
और बदले में कुछ भी ना लेती है मां

मात ही प्यार है गंग की धार है
मां ही आधार है मां ही पतवार है

मां मेरी शान है मेरी पहचान है
मां मेरा मान है मेरा अभिमान है
.
मानती ही नहीं है कभी हार मां
वास्तव में है धरती का श्रृंगार मां

आजाद मंडौरी लिखा सार है
मेरा रोम रोम मां का कर्जदार है

कवि आजाद मंडौरी पलवल हरियाणा

Loading...