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5 Nov 2018 · 1 min read

दीपावली के घरौदे।

बचपन के घरौदे ही अच्छे ।
बटवारे का नही बिवाद
एक साथ सब मिलकर रहते
विभाजन की नही दिवार।
खुशिया है हर एक भाग मे
नही उठा है कोई बवाल।
सब मिलजुलकर खुश है।
नहीं रहता कोई सवाल।
बातचीत प्रेम से पूरित,
खुशियाँ दिखती हैं हर हाल।
यह घर मां की ममता का है।
रहने का सबका अधिकार।
विन्ध्य ने इसे महान कहा है
भाई भाई का प्रेम यहां
मानो धरा न दूसरा जहां
रहे ढूढते ऐसे घर को
जिसमे ममता समता रहती
ऐसा घर तो मिला कहां है।
जिस घर मे हो सम्मान सभी का
खुशियां हो लालच न किसी का
इसको ही स्वर्ग कहा है
यह घर ही श्रेष्ठ महा है।।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र

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