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2 Nov 2018 · 1 min read

शे'र

शे’र
कहा उसने कि अपने शे’र का मफ़हूम समझाओ।
तो मैं अश्आर लेकर बज़्म से बाहर निकल आया।।

******* —अनीश शाह

अगर शमशीर हमने म्यान में रक्खी नहीं होती ।
तो हरगिज़ ये तुम्हारी सल्तनत फैली नहीं होती ।।
– – – – अनीश शाह

क़ता
दिखाकर जाम ए उल्फ़त यूं तो छलकाना नहीं अच्छा।
किसी की प्यास को ऐसे तो भड़काना नहीं अच्छा।।

किया वादा अगर तुमने निभाना भी तो वाजिब है।
कि अपने कौल से ऐसे मुकर जाना नहीं अच्छा।।
—अनीश शाह

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