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30 Oct 2018 · 1 min read

मुक्तक

बेरुखी की नजर से सिहर जाएंगे।
टूट कर कांच सा हम बिखर जाएंगे।
यूँ न जाओ सनम दिल मेरा तोड़कर
बिन तुम्हारे कसम हम तो मर जाएंगे।

पवन कुमार नीरज

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