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27 Oct 2018 · 1 min read

वो सुहागन है, सुहागन ही रहे….

वो सुहागन है, सुहागन ही रहे….
…….हाँ……
वो सुहागन है, सुहागन ही रहे…

हर साल यूँही करवाचौथ का व्रत रखे ,
कुछ सिन्दूर भरकर अपनी माँग में,
बस यही मेरी प्रभु से है मेरी कामना,
हाँ…. वो सुहागन है, सुहागन ही रहे…

वो चाहती है साथ पल-पल अपने पति का,
अपने हर जनम मैं करती यही आराधना ,
जब कुछ भी न था रिश्ता उनका हमारा,
हाँ…. वो सुहागन है, सुहागन ही रहे….

रहे वो सात फेरों के सातों वचनों को निभाती,
समझता हूँ मैं इस अटूट बंधन के विश्वास को,
जब कोई बिपदा आयी किया डट उसने सामना,
हाँ…. वो सुहागन है, सुहागन ही रहे….

अब बस इतनी सी अर्ज है उस भगवान से,
वो करे गलती कभी नादान समझ करदूँ माफ मैं,
अपने इस लघु जीवन में एक दूसरे को प्रकाश दें,
हाँ….वो सुहागन है, सुहागन ही रहे…

***** धीरेन्द्र वर्मा *****

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