Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Oct 2018 · 2 min read

कैसा शरद और कैसा पूर्णिमा

आसमान के आचंल में
दूधिया सा चाँद
गुरु पूर्णिमा का
पूरी रवानी पे है,
अमावस्या को पछाड़ आया
पीछे कहीं ,
भूतकाल के अंधेरे में
विजय पताका लहराता हुआ
नीले आसमान में विचर रहा है
वहीं नीचे
कुछ कुत्ते भौक रहें हैं
कुछ रो रहें हैं ,
और मैं
कभी चाँद को,
कभी कुत्ते को देख रही हूँ
और सोचती हूँ
क्या इस जानवर को
वो पता है जिसे मैं नही जानती ?
क्या वो चाँद से कुछ पूछ रहा है ?
जैसे की,
कैसे तुहे लज्जा नही आती
कैसे इठला सकते हो तुम, जब
लाखों बच्चे भूखे पेट सोने को मजबूर हों,
या
तब जब लाखों हाँथ फैली हो
दरिद्रता की लाठी थामे,
मंदिरो और मस्जिदों के आगे
फिर, कैसा शरद और कैसा पूर्णिमा
तुम तो सब के आंगन घूमते हो
एक समान
वहाँ भी ,जहाँ से छिना जाता है
इन मजलूमों के हक़ के दाने को
और वहाँ भी
जहाँ ये लोग, तुम्हें देख गाते हैं लोरियाँ
अपने भूखे बच्चों को देते हैं थपकी, तुम्हारे नाम से
और कोई शिकायत नहीं करते तुम से
वहाँ भी जहाँ मासूम बेटियों को नोचा जाता है,
उनके जिन्दा जिस्म को गटर बनाया जाता है
फिर तुम्हें लज्जा क्यूँ नहीं आती, इतराने में ?
जाओ, तुम भी कहाँ पुरे हो
इतराओ मत,
ये अँधेरा फिर घेरेगा तुम्हे
थोड़ा -थोड़ा करके
फिर निगल लेगा तुम्हे
फिर तुम्हारी और इनकी
लड़ाई एक जैसी होगी
अपने -अपने हिस्से की
अंधेरे से निकलने की।
तुम तो जीतते ही हो
हर पखवाड़ा
अब इनकी बारी है,
जीतने की अपने हिस्से के अंधेरे से
ताकि इनके बच्चे चाँद छू सके
ताकि तुम पे किसी दिन झंडा गार सके
अपने नाम का, अमिट छाप छोड़ सके !

* 25 -10 -2018

[ मुग्धा सिद्धार्थ ]

Language: Hindi
18 Likes · 436 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"महसूस"
Dr. Kishan tandon kranti
4474.*पूर्णिका*
4474.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सिनेमा को नई दिशा देता हरियाणा सिने फाउंडेशन
सिनेमा को नई दिशा देता हरियाणा सिने फाउंडेशन
सुशील कुमार 'नवीन'
ऋतुराज
ऋतुराज
Santosh kumar Miri
सुनहरे पल और वो मीठी यादें
सुनहरे पल और वो मीठी यादें
डॉ सुरेश जांगिड़
कविता.
कविता.
Heera S
औरतों के साथ सबसे बड़ी हुई अन्यायपूर्ण नीति रही है उसे एक भाव
औरतों के साथ सबसे बड़ी हुई अन्यायपूर्ण नीति रही है उसे एक भाव
पूर्वार्थ
मानव जीवन अनमोल है, सीमित संसाधन भी अनमोल।
मानव जीवन अनमोल है, सीमित संसाधन भी अनमोल।
जय लगन कुमार हैप्पी
कर्म चरित्र वर्णन
कर्म चरित्र वर्णन
Nitin Kulkarni
प्रभु दर्शन
प्रभु दर्शन
Rambali Mishra
पंतग डोर
पंतग डोर
Neeraj Kumar Agarwal
ज़िन्दगी अब तो कुछ करम कर दे,
ज़िन्दगी अब तो कुछ करम कर दे,
Dr fauzia Naseem shad
लड़की की जिंदगी/ कन्या भूर्ण हत्या
लड़की की जिंदगी/ कन्या भूर्ण हत्या
Raazzz Kumar (Reyansh)
'रिश्ते'
'रिश्ते'
Godambari Negi
मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
हम से भी ज्यादा हमारे है
हम से भी ज्यादा हमारे है
नूरफातिमा खातून नूरी
सोचते होंगे तुम
सोचते होंगे तुम
Dheerja Sharma
देकर घाव मरहम लगाना जरूरी है क्या
देकर घाव मरहम लगाना जरूरी है क्या
Gouri tiwari
पत्नी   से   पंगा   लिया, समझो   बेड़ा  गर्क ।
पत्नी से पंगा लिया, समझो बेड़ा गर्क ।
sushil sarna
भ्रष्टाचार का बोलबाला, जब हो न्याय के मुंह पर ताला: अभिलेश श्रीभारती
भ्रष्टाचार का बोलबाला, जब हो न्याय के मुंह पर ताला: अभिलेश श्रीभारती
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
गर्मी की मार
गर्मी की मार
Dr.Pratibha Prakash
अगर मरने के बाद भी जीना चाहो,
अगर मरने के बाद भी जीना चाहो,
Ranjeet kumar patre
हृदय को ऊॅंचाइयों का भान होगा।
हृदय को ऊॅंचाइयों का भान होगा।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
जब हम गलत मार्ग या भटकते हैं तभी हम खोज के तरफ बढ़ते हैं, नह
जब हम गलत मार्ग या भटकते हैं तभी हम खोज के तरफ बढ़ते हैं, नह
Ravikesh Jha
मेलों का मौसम है आया (बाल कविता)
मेलों का मौसम है आया (बाल कविता)
Ravi Prakash
सजनी पढ़ लो गीत मिलन के
सजनी पढ़ लो गीत मिलन के
Satish Srijan
काश.! मैं वृक्ष होता
काश.! मैं वृक्ष होता
Dr. Mulla Adam Ali
मैं साधना उसकी करूं, जो साधता संसार है,
मैं साधना उसकी करूं, जो साधता संसार है,
Anamika Tiwari 'annpurna '
"आतिशे-इश्क़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
17. बेखबर
17. बेखबर
Rajeev Dutta
Loading...