Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
21 Oct 2018 · 2 min read

इज़्ज़त उन्हें बख्शिश कर।।

है इल्तेज़ा बस इतनी सी, गर ये तुझको कबूल हो,
माफ़ करना मेरी गलती, जो कोई कहीं से भूल हो।
हो भविष्य तेरा सफल, बर्तमान उनका सशक्त हो,
हर शूल को जो झेलते, की राहो में सबके फूल हो।।

न चाह कोई खास से, न है शौख कोई रईश कर,
ले लगा अपने गले तू, इज़्ज़त उन्हें बख्शिश कर।।

तू खौफ़ न खा बेवजह, हरपल मैं तेरे साथ हुँ,
तुम हो रूह मेरे देश की, मैं सिर्फ नश्वर गात हुँ।
है ये शपथ हम ले चुके, बस तेरी रक्षा यूँ ही करें,
हो सुरक्षित तेरा भविष्य, मैं गुम सा गुजरा रात हुँ।।

हो दुआ सर मेरे तेरा, रहे साथ शुभ आशिष कर।
ले लगा अपने गले तू, इज़्ज़त उन्हें बख्शिश कर।।

जय हिंद वन्देमातरम, जयकारा क्यो यदा कदा,
भूल जाते विजय दिवस, रखे याद वैलेंटाइन सदा।
जय जवान जय किसान, से जवान यूँ ग़ुम हो गया,
मर रहे किसान भी, जो निरीह से बचे ख़ौफ़ज़दा।।

हैं ये भी तो हिस्सा तेरा, बस बात यह तफ्तीश कर,
ले लगा अपने गले तू, इज़्ज़त उन्हें बख्शिश कर।।

वो पुष्प की अभिलाषा भी, आज बेदम मर रहा,
तोड़ कर माली उसे, है चरणों मे किसके धर रहा।
पर फ़र्क ना कोई तुम्हे, न फ़क्र अपनी ‘फौज’ पर,
रक्षार्थ मातृभूमि खातिर, जन्म सफल जो कर रहा।।

अरे कौन है ये तेरे, इन्हें पहचानने की कोशिश कर,
ले लगा अपने गले तू, इज़्ज़त उन्हें बख्शिश कर।।

“चिद्रूप”पेट हो जिसका भरा, भूखे की उसको क्या खबर,
जिसे असंख्य अकारण मिले, उसपे अभावो का क्या असर।
हे भाग्य बिधाता दे ज्ञान उन्हें, जो सिर्फ यही कमतर रखें,
जो जानते निज स्वार्थ ही, उसे जलते दीये की क्या कदर।।

छोड़ कर चकाचौध रोशनी, निज गर्व को महसूस कर,
ले लगा अपने गले तू, इज़्ज़त उन्हें बख्शिश कर।।

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २१/१०/२०१८)

Loading...