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11 Oct 2018 · 1 min read

त्रासदी

भिलाई स्टील प्लांट में गैस पाइपलाइन में ब्लास्ट ,

कल हाँ कल ही
एक और त्रासदी
एक और दुर्घटना
आसामन को छूती आग की लपटें
मानो अपनी जद में आने बाली
हर सजीव और निर्जीव बस्तु को
राख करने को तैयार
प्रत्यक्षदर्शीयों की फैली हुई पलकें
जमीन में कीलें ठुकी पैर
दिमाग को सुन्न
कर देने बाला नजारा
सभी स्तबध

मीनारों से कूदते
आदमी -औरत
सेफ्टी बेल्ट से बंधे
मशाल की तरह
जलते -सुलगते लोग
और उन से
निकलती आवाज़ें
बचाओ -बचाओ
सभी लोग होलिका
तो हो नहीं सकते
की जिन्हें अग्नि देव
का आशीर्वाद प्राप्त हो
अग्नि की बिशाल लपटें
कोयले के ढेर में
परिबर्तित कर गई
जिन्दा हस्ते खेलते
लोगों को
पीछे रह गया
बस कुछ मांस के लोथड़े
और हवाओं में इंसानी
जिस्म के जलने की बदबू
और चिमनी से उठती
आग की लपटें
और वो सैकड़ो लोग
जिनका कोई अपना
निगल लिया हो इन लपटों ने
ये भी भुला दिया जायेगा
जैसे हर बार होता है
इस बार भी वही सब
दोहराया जायेगा
मुआबजे में कुछ
हजार या लाख दे
फिर अनदेखी की जाएगी
सेफ्टी से जुड़ी बातों की
क्यूंकि ,
इंसानो के भेस में पिशाच घुमतें हैं
इनका अपना तो कोई
शिकार होता नहीं
वो तो वो लोग हैं
जिनका ऊपर वाला
भी नहीं सुनता
ये सब बस दस्ताबेजों में
जिन्दा रहेंगे
और हमारी यादों में
हादसे की शक्ल में

[मुग्धा सिद्धार्थ ]

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