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9 Oct 2018 · 2 min read

मेरी जिंदगी के लिए साँँसोंं की जरूरत हो तुम==राजन कुमार साह "साहित्य"

जिसे मैं चाहता हूँ वो चाहत हो तुम
जिसे मैंने पाया मेरी अमानत है तुम
तन्हा-ए-दिल तुझसे ना बिछड़ पाऊँगा
बिछड़ा तो एक पल भी जी नहीं पाऊंगा
मेरी जिंदगी के लिए साँसों की जरूरत हो तुम..
क्या कहूँ ऐ मेरे हमसफर
राह -ए-मंजिल के वो जरूरत हो तुम..
तेरे अनुपम सौन्दर्य का कोई जवाब नहीं
मैं तेरे प्रेम वियोग में पागल -अवारा ही सही
सच कहूँ बहुत खूबसूरत हो तुम
ईश्वर की रची हुई मूरत हो तुम
क्या कहूँ ऐ मेरे हमसफर
राह-ए-मंजिल के लिए वो जरूरत हो तुम…
दिल पर क्या गुजरे तू क्या जाने
प्रेम वियोग की तड़प तू नादाँ क्या जाने
आशियाना उजड़ गया तेरी चाहत में
चाहत-ए-नशा की कयामत हो मेरी नजर में
क्या कहूँ ऐ मेरे हमसफर
राह-ए-मंजिल के लिए वो जरूरत हो तुम…
न जीने की खुशी न मरने का गम
बस तुम्हें पा लें इसी तमन्ना में हैं हम
अपना बनाने को बेकरारी का आलम है
जीते हैं इसी आस में एक दिन मिलोगी तुम
बेचैनी में सुकून दे वो एहसास हो तुम
क्या कहूँ ऐ मेरे हमसफर
राह-ए-मंजिल के लिए वो जरूरत हो तुम…
क्या कहूँ कैसे कहूँ
किससे दुआ माँगू तू मेरी हो जाए
दिल में तड़प है,बस एक हसरत है मेरी
मेरी हो जाओ ख्वाहिश हो तुम
क्या कहूँ ऐ मेरे हमसफर
राह-ए-मंजिल के लिए वो जरूरत हो तुम…
इश्क ने मुझे जीना सिखा दिया
वफ के नाम मरना सिखा दिया
प्यार की तड़प में दर्द की दवा हो तुम
क्या कहूँ ऐ मेरे हमसफर
राह-ए-मंजिल के लिए वो जरूरत हो तुम…
तेरे साथ रहने की एक चाहत-सी है
तुझे याद करने की आदत -सी है
तेरे बिना अब रह न पाऊँगा
दिल में यह ख्याल हर पल रहता है
धड़कन बन धड़कती हो तुम
साँसे बन मुझसे बसती हो तुम
क्या कहूँ ऐ मेरे हमसफर
राह-ए-मंजिल के लिए वो जरूरत हो तुम…
रिश्ता जन्मों-जन्म तक निभाएँगे
तेरे लिए सारे बन्धन तोड़ जायेंगे
मन में तड़प है,आँखों में तुम्हारी तलाश है
दीदार को तरसता हूँ ऐसी दिलनशी चाहत हो तुम
क्या कहूँ ऐ मेरे हमसफर
राह-ए-मंजिल के लिए वो जरूरत हो तुम…
rajan kumar s sahitya

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