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7 Oct 2018 · 1 min read

लोम ओर विलोम

जंग ग़र समझोगे ज़िन्दगी,
हार ओर जीत तो होनी है,
सफ़र ग़र समझोगे ज़िन्दगी,
फ़ूल ओर काँटे तो होने है,
समुंदर ग़र समझोगे ज़िन्दगी,
उतार ओर चढ़ाव तो आना है,
लहरों सी ग़र समझोगे ज़िन्दगी,
ज्वार ओर भाटा तो आना है,
फिज़ा ग़र समझोगे ज़िन्दगी,
बहार ओर पतझड़ तो आना है,
काँरवा ग़र समझोगे ज़िन्दगी,
ग़ुबार ओर आँधी तो आना है,
रंगों सी ग़र समझोगे ज़िन्दगी,
सफ़ेद ओर काला तो होना है,
रोशनी सी ग़र समझोगे ज़िन्दगी,
उजाला ओर अंधकार तो आना है,
समझो ग़र समझोगे ज़िन्दगी,
लोम ओर विलोम तो आना हैं।।
मुकेश पाटोदिया”सुर”

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