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20 Sep 2018 · 1 min read

बेढ़ब जवानी (हास्य-कविता)

बेढ़ब जवानी
नाक बैठे,गाल पिचकेजैसे शुष्क आम
कमरिया के नाम पर एक पतली कमानी है।
तेज से विहीन काया, देखने में दीन
चेहरे का रंग जैसे पोखरे का पानी है।
बेदम बाँहे,नन्हीं-नन्हीं धँसी आँखे
माथे के नाम पर बस एक मथानी है।
पैर के नाम पर,बैर की दो लकुटिया
लटकदार चाल देखो बड़ी मस्तानी है।
बौने ठिगने कद और बोलने की हद
जीवन इनकी एक अद्भुत कहानी है।
फेसबुक,मोबाइल में रहते तल्लीन सदा
पुस्तक से दूर,मगरूर,गूगल से ज्ञानी है
काठ से शरीर लेके प्रेम पाठ पढ़ते
गाँठ में न साँठ,पर नखरे अम्बानी है।
अब क्या कहूँ मेरे मेहरबान दोस्तों
हिप्पीकट युवकों की बड़ी बेढ़ब जवानी है।
-©नवल किशोर सिंह

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