Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
चल पड़ते हैं कभी रुके हुए कारवाँ, उम्मीदों का साथ पाकर, अश्क़ बरस जाते हैं खामोशी से, बारिशों में जैसे घुलकर।
Likes (1)
Seema Chaudhary
6 followers
Follow
Loading...