Comments (4)
15 Jul 2021 10:50 PM
कर्मभूमि
जन्मभूमि
रणभूमि
के सहज सामंजस्य का अनूठा संगम
.
अब तुम इस आधार से बाहर हो …
20 Mar 2021 09:13 PM
बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी
13 Jun 2020 10:07 PM
मैडम जी, इस कविता के लिए आपको बारंबार नमन. मन को गहरे छू गई यह कविता.
मैंने आज आपकी कविता ‘हां मैं शूद्र हूं’ फेसबुक पर भी शेयर किया.