Bahut sahi baat kahi सारी लड़ाई उम्मीदों की है जिस नए रिश्ते को भावना ,प्यार , विश्वाश और सम्मान से जीता जाना चाहिए उस पर आते ही उम्मीदों का बोझ लाद दिया जाता है और शुरू हो जाता है तानों का दौर । और सास बहू का प्यारा सा रिश्ता कब उन तानों की भेंट चढ़ जाता है पता ही नहीं चलता । इसीलिए तो हम कहते हैं …
सास छोड़े ना अपना राज बहू को जीने दे ना अपना आज ।
Bahut sahi baat kahi सारी लड़ाई उम्मीदों की है जिस नए रिश्ते को भावना ,प्यार , विश्वाश और सम्मान से जीता जाना चाहिए उस पर आते ही उम्मीदों का बोझ लाद दिया जाता है और शुरू हो जाता है तानों का दौर । और सास बहू का प्यारा सा रिश्ता कब उन तानों की भेंट चढ़ जाता है पता ही नहीं चलता । इसीलिए तो हम कहते हैं …
सास छोड़े ना अपना राज बहू को जीने दे ना अपना आज ।
सादर आभार आदरणीय जी ।