Comments (4)
2 Feb 2021 10:36 PM
बहुत सुंदर ।
कृप्या मेरी भी रचना देखें और अपना वोट देने की कृपा करे ।
5 Jan 2020 01:42 AM
अद्भुत
18 Sep 2019 12:12 AM
Shandaar lekh सारे मत पंथ, धर्म शास्त्र ये कहते नही थकते की जीवन में कितना भी धन, सम्पत्ति, पुत्र, परिवार इकट्ठा कर लो लेकिन एक दिन खाली हाथ ही जाना पढ़ता है तो क्यों न मैं धन संगृह की बेकार मजदूरी से दूर होकर ऐसा काम करूं जिसका फल और यश में अपने साथ ले जा सकूं | एक बार सोचियेगा ज़रूर…………………
बहुत सुंदर रचना है।महोदय मेरी रचना अमर प्रेम (सवैया) का अवलोकन कर एक वोट देकर सहयोग देने की कृपा करें , धन्यवाद। ।