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सदियों से नारी जाति सहती है नित वेदना सिसकती रहती आँचल तले दु:ख पड़ता इसे सहना ।।
सदियों से नारी जाति
सहती है नित वेदना
सिसकती रहती आँचल तले
दु:ख पड़ता इसे सहना ।।