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आदमीयत न तुम जुदा रखना दिल में थोड़ी सी तो वफा रखना ? लाख कर ले सितम ज़माना ये तुम न दिल में कभी जफ़ा रखना ? दाग़ किरदार पे न लग जाए स्याह दिल से तू फासला रखना ? खो गई हैं जो आरजूएं तो फिर भी जीने का हौसला रखना ? मिले तुमको दुआओं की दौलत पास मां - बाप को सदा रखना ? जान लेना गुनाह पहले तुम जब किसी से कोई गिला रखना ? दफ़्न हो जाऊं जब लहद में मैं दीप तुरबत पे तुम जला रखना ? खत्म "प्रीतम" न हो महक दिल से गुल मुहब्बत का तुम खिला रखना
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