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सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहा, जिंदगानी अगर रही तो नौजवानी फिर कहा l
हाथ पे हाथ धर नहीं कोई पूजा न धर्म, कर्मवीर ही क्या जो कर न सके पथ्थर को खुदा और धर्म को ही कर्मll ???
शुक्रिया। भाई जी
सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहा,
जिंदगानी अगर रही तो नौजवानी फिर कहा l
हाथ पे हाथ धर नहीं कोई पूजा न धर्म,
कर्मवीर ही क्या जो कर न सके पथ्थर को खुदा और धर्म को ही कर्मll ???
शुक्रिया। भाई जी