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27 Apr 2021 04:40 PM
नीरु जी, आपने वाकई में लोकतंत्र के वर्तमान स्वरुप का बेबाकी से चित्रण किया है, जिसमें आज की सिर का कुरुप चेहरा दिखाया गया है, आज जब अनेकों लोग चाटुकारिता में लगे हैं या फिर मौन धारण किए हुए हैं ऐसे में अपने उद्गार व्यक्त करने का जोखिम विरले ही उठा सकते हैं, आपकी बेबाकी के साधुवाद,स्नेह सहित आशीष!
सिर के स्थान पर सियासत पढ़ा जाए!