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30 Dec 2020 02:51 PM

Hello Neeraj Chauhan ji आपकी सुंदर रचना है कृपया मेरी भी रचना का अवलोकन कर अपना बहुमूल्य वोट देने की कृपा करें वोट मिलने पर मैं भी आपके रचना को वोट दे दूंगा धन्यवाद रामकृष्ण रस्तोगी

शेर की तरह दहाड़ा जो, मेरा यार आदमी ।
पूँछ उठाकर देखा तो, निकला वह सियार आदमी ।

“आदमी की औक़ात ” न केवल कविता के शीर्षक की दृष्टि से ही उपयुक्त है , बल्कि यह शीर्षक भी एक पूरी कविता है , इसलिए-यदि पूरी कविता को “आदमी का महाकाव्य ” कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी ।
दिल को छूने बाली बात लिखने के लिए मेरा पुन: आशीर्वाद
बेटा नीरज ,

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