Comments (3)
23 Aug 2016 09:33 AM
Wah wah..
Shubha Mehta
Author
23 Aug 2016 12:46 PM
Thanks
ये रिश्तें काँच से नाजुक जरा सी चोट पर टूटे
बिना रिश्तों के क्या जीवन ,रिश्तों को संभालों तुम
हर कोई मिला करता बिछड़ने को ही जीबन में
मिले, जीबन के सफ़र में जो उन्हें अपना बना लो तुम
बहुत खूब , शब्दों की जीवंत भावनाएं… सुन्दर चित्रांकन