Comments (5)
21 Nov 2016 07:16 PM
बहुत सुंदर।
आनंद बिहारी
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23 Nov 2016 06:36 PM
कान्हा की चर्चा सूंदर ही होनी चाहिए…
17 Oct 2016 09:16 AM
Waah ji behtreen gajal hui ji.
आनंद बिहारी
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17 Oct 2016 10:10 AM
धन्यवाद, आपके स्नेह के लिए
झुक आई बदरिया सावन की ।
सावन की मनभावन की ।
नन्हीं-नन्हीं बुँदियाँ , मेहा बरसे ,
भनक पड़ी हरि आवन की ।
– मीरा ।