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मेरी कविता माँ जीवन का पर्याय पढिए और वोट देकर मुझे कृतार्थ कीजिए

बोलेंगे जो भी हमसे बह ,हम ऐतवार कर लेगें
जो कुछ भी उनको प्यारा है ,हम उनसे प्यार कर लेगें

बह मेरे पास आयेंगे ये सुनकर के ही सपनो में
क़यामत से क़यामत तक हम इंतजार कर लेगें

मेरे जो भी सपने है और सपनों में जो सूरत है
उसे दिल में हम सज़ा करके नजरें चार कर लेगें

जीवन भर की सब खुशियाँ ,उनके बिन अधूरी है
अर्पण आज उनको हम जीबन हजार कर देगें

हमको प्यार है उनसे और करते प्यार बह हमको
गर अपना प्यार सच्चा है तो मंजिल पर कर लेगें

8 Aug 2016 11:25 PM

मदन जी आपकी ग़ज़ल बहुत प्यारी रहती हैं ….
मैं hindisahitya की site में भी आपको पढ़ता हूँ !!

धन्यवाद !

7 Aug 2016 02:45 PM

बहुत सुन्दर वाह्ह्ह्ह्ह्। दिल दरवाजा ….. मीठा सपना …..

7 Aug 2016 09:43 PM

सुक्रिया डॉ. अर्चना जी

7 Aug 2016 02:26 PM

Nice

7 Aug 2016 11:18 PM

सुक्रिया ….!!

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