Comments (3)
3 Aug 2016 01:00 PM
यक़ीनन ,,अपना या पराया,,समय पर ख़ुद अपनी हक़ीक़त ज़ाहिर कर देता है,,,
Dinesh Sharma
Author
8 Oct 2016 01:33 PM
सही कहा। भाई जी।
सुंदर कविता | कृपया आप मुझे वोट करे |धन्यवाद |