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25 Jul 2016 11:24 AM

वाह मैडम बहुत सुंदर

25 Jul 2016 08:22 AM

नाँव कागज़ की बना कर उसमें
मन है बचपन को घुमाया जाये……….वाह ! बहुत खूब.
बहुत खूबसूरत गजल हुई है आदरणीया डॉ. अर्चना गुप्ता जी. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. फिरभी इस शेर को देख लें.इसमें तकाबुले रदीफ़ है और दूसरा यह कि सानी के मिसरे को इस तरह कर के भी देखें.
प्यार में चुप है जुबाँ पर// कैसे//
नैन से राज छिपाया// जाये//……….राज नैनों से छिपाया जाये….सादर.

25 Jul 2016 09:12 AM

ओह्ह्ह्ह ध्यान नही दिया । धन्यवाद आपका दिल से

25 Jul 2016 07:59 AM

वाह — वाह लाजवाब बहुत खूब

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