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देखो! नदी अभी जागी है अभी तो जगाई है मैंने इक आस तेरे आवन की… कुछ टपकती गिरती बूँदें भी वो पहले अपने सावन की…
वाह्ह्ह् बहुत सुन्दर
देखो! नदी अभी जागी है
अभी तो जगाई है मैंने
इक आस तेरे आवन की…
कुछ टपकती गिरती बूँदें भी
वो पहले अपने सावन की…