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22 Jul 2016 09:05 AM
मन की बडी विचित्र. महिमा है, अर्चना जी इसमें साक्षात् भगवान. प्रवाहित. होते है, इसीलिए
प्रवृत्तियो के हिसाब. से हमारे सामर्थ्य. योग्यताओ का प्रक्रियाओं का स्वरूप. बनता बिगडता रहता है
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहुत खूब 1