Comments (6)
20 Jul 2016 09:12 PM
वआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् बहुत खूब
Ankita Kulshreshtha
Author
20 Jul 2016 10:44 PM
धन्यवाद आदरणीय
20 Jul 2016 07:35 PM
आदरणीया अंकिता जी सुंदर गीतिका प्रस्तुत की है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. कुछ जगह सुधार की गुंजाइश है.
बिन तुम्हारे जिंदगी विराम है……इस पंक्ति में गेयता भंग है.
प्रीति तेरी सौ जनम तक चाहिए
मिलन तुमसे पुण्य का परिणाम है……….मेल तुझसे ………
याम (पु.)
Ankita Kulshreshtha
Author
20 Jul 2016 10:44 PM
धन्यवाद आदरणीय
आपके सुझावों के लिए विशेष आभार
20 Jul 2016 06:58 PM
वआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् बहुत खूब
Bahut sundr