Comments (5)
5 Aug 2016 05:25 PM
वाह्ह्ह् बेहतरीन ग़ज़ल है आदरणीय
Ashok Kumar Raktale
Author
19 Jul 2016 09:13 PM
कृपया अंतिम शेर इस तरह पढ़ें
अपनों से से दूर कर न दे उनका मिज़ाज भी
गलियों से अब जो गाँव की आँगन नए मिले.
19 Jul 2016 07:46 AM
वाह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह् अति सुन्दर
Ashok Kumar Raktale
Author
19 Jul 2016 11:18 AM
सादर आभार आदरणीया डॉ.अर्चना गुप्ता जी.
नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनाए
कृपया मेरी रचना कोरोना का अवलोकन कर वोट करने कि कृपा करे !