Comments (3)
19 May 2016 06:10 PM
वाह्ह्ह्ह्ह्ह् शिखा जी वाह्ह्ह्ह्ह् मेरी भुजाओं को फड़का दिया आपने ,,,,,,नमन आपकी जानदार धारदार गजल को कोटिशः बधाई सामाजिक सरोकार वाली गजल को
19 May 2016 07:20 AM
वाह्ह्ह्ह्ह् बहुत सुन्दर ग़ज़ल है । बहुत2 बधाई ।
कवयित्री दीप शिखा सागर जी ! जितनी लम्बी आपकी ग़ज़ल :………. शिखा अब दिल डोली तैयार रखो ।
उतनी ही अधिक सुंदर और सरस भी आपने अपने भावों को शब्दायितकिया है ।
—— जितेन्द्रकमल आनंद , रामपुर ( उ प्र )