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25 Oct 2016 12:40 PM

कवयित्री दीप शिखा सागर जी ! जितनी लम्बी आपकी ग़ज़ल :………. शिखा अब दिल डोली तैयार रखो ।
उतनी ही अधिक सुंदर और सरस भी आपने अपने भावों को शब्दायितकिया है ।
—— जितेन्द्रकमल आनंद , रामपुर ( उ प्र )

19 May 2016 06:10 PM

वाह्ह्ह्ह्ह्ह् शिखा जी वाह्ह्ह्ह्ह् मेरी भुजाओं को फड़का दिया आपने ,,,,,,नमन आपकी जानदार धारदार गजल को कोटिशः बधाई सामाजिक सरोकार वाली गजल को

19 May 2016 07:20 AM

वाह्ह्ह्ह्ह् बहुत सुन्दर ग़ज़ल है । बहुत2 बधाई ।

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